वाणी: मन का आईना पर निबंध | Vani man ka aaina par Nibandh hindi me | 2021
वाणी: मन का आईना
पर निबंध
" ऐसी वाणी बोलिए मन का आपा खोए,
औरन को शीतल करें आपहु शीतल होए।"
मनुष्य की वाणी में ऐसी शक्ति होती है, जो एक और तो बड़े-से बड़े दुश्मन का भी दिल जीत सकती है, दूसरी और घनिष्ठ मित्रों को भी अलग कर सकती हैं। वाणी का प्रयोग मनुष्य व्यंग्य करने के लिए भी कर सकता है और हंसने-बोलने के लिए भी। व्यक्ति के संपूर्ण जीवन में उसके बोल ही महत्वपूर्ण होते हैं। यदि आपके घर पर मेहमान आए और आपने उनके साथ दो मीठे शब्द न बोले, तो क्या वह दोबारा आपके घर आना पसंद करेंगे? और कहीं आपने मीठे वचन के स्थान पर कड़वे वचन बोल डाले, तब तो परोसे गए तरह-तरह के पकवान भी फीके लगने लगेंगे। इतिहास भी इस बात का साक्षी है कि द्रोपदी के कटु वचन ही माहाभारत का कारण बनें।
अतः कहां जा सकता है कि वाणी में असीम शक्ति होती है। हमें सदैव मीठी वाणी का प्रयोग करना चाहिए। मीठी वाणी हमारे काम को आसान बना देती हैं। जबकि कड़वे वचन हमारे बनते काम को बिगाड़ देखते हैं। कटु वचन का नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जबकि मधुर वाणी का सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। एक उदाहरण यह है कि एक प्यासे व्यक्ति ने भाभी से कहा- कानी भाभी पानी दे दो तो वह भड़क गई और पानी नहीं दिया जब उसने प्यारी भाभी कहा तो उसे पीने के लिए शरबत मिला। मधुर वाणी का असर बहुत अधिक होता है। मधुर वाणी जादू असर डालती है। डॉक्टर द्वारा अपने मरीजों से बोले गए मीठे बोल किसी भी रोगी के लिए दवाई का काम करते हैं। इसलिए यह कहावत प्रसिद्ध है- " मधुर वचन है औषधि, कटुक वचन है तीर।
अतः "हमें सदा मीठी वाणी का प्रयोग करना चाहिए।
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