मेरा प्यारा भारत पर निबंध | Essay on Mera Pyara Bharat in Hindi | Mera Pyara Bharat par Nibandh | 2021

मेरा-प्यारा-भारत-पर-निबंध
 

मेरा प्यारा भारत 

पर निबंध


भूमिका

यह मानव की स्वाभाविक प्रवृत्ति है कि वह अपनी जन्मभूमि से अत्यधिक प्यार करता है। कहां है जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर होती है। भारत हमारी जन्मभूमि है। यह हमारे लिए स्वर्ग से भी बढ़कर है। हमारे देश का नाम भारत है। दुष्यंत और शकुंतला के पुत्र भरत के नाम पर इसका नाम भारत पड़ा। इसका प्राचीन नाम आर्यवर्त भी है। हमारा रोम-रोम इसके प्रति कृतज्ञ हैं।

भौगोलिक स्थिति 

हमारा भारत एक विशाल देश है। जनसंख्या की दृष्टि से संसार भर में दूसरे स्थान पर है। विभिन्न जातियों के लोग यहां बड़े प्यार से रहते हैं। संसार का सबसे ऊंचा पर्वत शिखर इसी देश में हैं। इस देश की सैकड़ों नदियां इसकी भूमि को हरा-भरा  करती हैं। गंगा यमुना का उपजाऊ मैदान इसी देश में हैं। हर दृष्टि से इस की भौगोलिक स्थिति सर्वश्रेष्ठ है।

औद्योगिक विकास 

भारत कृषि प्रधान देश है। यह गांव में बसा है। यहां की अधिकांश जनसंख्या कृषि पर निर्भर है। यहां गेहूं, ज्वार, बाजरा, चना, धान, मक्का आदि की फसलें होती हैं। अन्न की दृष्टि से हम स्वावलंबी हैं। वैज्ञानिक प्रगति में भी हम किसी देश से पीछे नहीं है। जहां पहले हम छोटी-मोटी चीजें भी विदेशों से मंगवाते थे। वहां आज हम बड़ी-बड़ी मशीनें निर्यात करते हैं।

विभिन्न परियोजनाएं 

भारत अनेक बहुमुखी परियोजनाओं के कारण उन्नति के शिखर पर है। नदी-घाटी, पन-बिजली आदि परियोजनाओं के कारण देश का रूप निखर रहा है। इनके कारण अनेक छोटे-बड़े उद्योग विकसित हो रहे हैं। गांव-गांव में बिजली पहुंचाई जा रही है। रेल, सड़क, पुलों के कारण देश के पिछड़े क्षेत्र शहरों से जुड़ रहे हैं।

दर्शनीय स्थल 

भारत हमारी पवित्र एवं पुण्य भूमि है। यहां अनेक तीर्थ हैं। हरिद्वार, काशी, कुरुक्षेत्र, मथुरा, द्वारिका, प्रयाग, अजमेर आदि तीर्थ स्थल श्रद्धा व श्रद्धालुओं की श्रद्धा का केंद्र हैं। ताज महल, लाल किला, सारनाथ, शिमला, मसूरी आदि स्थल यात्रियों का मन मुग्ध कर देते हैं।

महापुरुषों की धरती 

भारत महापुरुषों की कर्म स्थली है। यहीं पर राम, कृष्ण, महावीर, बुद्ध, नानक, कबीर, रहीम आदि पैदा हुए हैं। यहां पर चार वेदों का संकलन हुआ और यहीं पर रामायण और महाभारत जैसे विश्व के सर्वश्रेष्ठ महाकाव्यों की रचना हुई।

उपसंहार

अतः हम सब का कर्तव्य है कि हम देश की एकता, अखंडता के लिए यदि आवश्यक हो तो हम अपने प्राणों की भी बाजी लगा दे। यही मेरा और मेरे सपनों का भारत है, यही मेरी मातृभूमि है, जिस पर हम अपना सर्वस्व बलिदान कर सकते हैं।



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