स्वाइन-फ़्लू : एक संक्रामक रोग पर निबंध | 2021

स्वाइन-फ़्लू : एक संक्रामक रोग 

पर निबंध

'एच- एन-।' वायरस से स्वाइन-फ़्लू 

आज मनुष्य को जहाँ एक ओर अनेक महामारियों से छुटकारा मिला है, वहीं दूसरी ओर स्वाइन-फ़्लू जैसी भयंकर महामारी ने हमारे दरवाज़े पर दस्तक दे दी है। इसकी शुरूआत हुई तो थी मेक्सिको से, परंतु अब यह सारे विश्व में एक महामारी के रूप में फैलता चला जा रहा है। स्वाइन-फ़्लू सुअरों में होने वाली साँस संबंधी एक संक्रापक बीमारी है, जो प्राय: 'एच-] एन-' वायरस के माध्यम से फैलती है। 

स्वाइन-फ़्लू के लक्षण

स्वाइन-फ़्लू के लक्षण सामान्य जुकाम बुखार जैसे ही होते हैं। इसमें प्राय100 डिग्री तक बुख़ार जाता है, भूख नहीं लगती, नाक से पानी बहता रहता है। कुछ लोगों के तो गले में भी दर्द होने लगता है। उल्टियाँ भी बहुत होती हैं, डायरिया जैसा हो जाता है। मौसम में परिवर्तन होने के कारण इसका फैलना और भी तेजी से हो जाता है, क्योंकि ऐसे वातावरण में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। स्वाइन-फ़्लू का प्रभाव और भी बढ़ जाता है। 

स्वाइन-फ़्लू से बचाव के उपाय

डॉक्टरों ने लोगों को इस बात का आश्वासन दिया है कि स्वाइन-फ़्लू से बचा जा सकता है, यदि हम कुछ बातों का नियमित रूप से ध्यान रखें। जब भी किसी दृषित स्थान या वस्तु को छुएँ, तो हाथ ज़रूर धोएँ। खाँसते या छींकते समय मुँह पर टिश्यू पेपर या रूमाल ज़रूर रखें। बीमार लोगों से मिलने के बाद, खाना खाने से पहले या खाने में इस्तेमाल की जाने वाली वस्तुओं को छूने से पहले हाथ ज़रूर धोएँ। स्वाइन-फ़्लूग्रस्त रोगी के पास यदि जाना हो, तो फेस मास्क या रेसपिरेटर मास्क ज़रूर लगाकर जाएँ। स्वाइन-फ़्लू के लक्षण आरंभ होने के 48 घंटे के अंदर यदि 'ऑसिलटेमाविर' (टेमीफ्लू) नामक दवा दी जाए. तो रोग के नियंत्रण में सहायता मिलती है।



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